Thursday, November 7, 2024

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प्राकृतिक रूप से स्वास्थ्य और सेहत में सुधार का खज़ाना (Benefits..

अश्वगंधा क्या है? (Ashwagandha kya hai?)

एक चमत्कारिक जड़ी बूटी है अश्वगंधा (Ashwagandha) जिसके अनेकों फायदे होते हैं| यह एक ऐसी जड़ी बूटी हैं जिसके बिना रोगों के निदान की कल्पना शायद ही कहीं देखने को मिले| वैसे तो अश्वगंधा वातावरण के अनुसार अलग अलग प्रकार की होती हैं परन्तु असली अश्वगंधा की जड़ को रगड़ने या उसे मसलने पर अश्व अर्थात घोड़े के मूत्र की गंध आती हैं इसीलिए इसे अश्वगंधा कहा जाता हैं|

इस पौधे के एक या दो नही लगभग सभी भागों को उपयोग में लिया जाता हैं| कभी कभी इसके अलग अलग भागों का सेवन करने से कई प्रकार की बीमारियाँ दूर की जाती हैं तो कभी इस के साथ किसी अन्य औषधि का प्रयोग करके रोगों का समापन किया जाता हैं|

वनों में पैदा होने वाली अश्वगंधा के मुकाबले कृषि द्वारा उगाई जाने वाली अश्वगंधा को काफी अच्छा माना जाता हैं| तेल के लिए वन की अश्वगंधा को उत्तम माना जाता हैं| लगभग सभी लोग इससे परिचित होते हैं परन्तु कुछ नही भी होते हैं| यदि आप भी इस के बारे में उचित जानकारी लेना चाहते हैं तो इसे पूरा पढ़ें|

अश्वगंधा की प्रजातियाँ  (Ashwagandha ki prajatiya)

छोटी असगंध

बड़ी असगंध

छोटी असगंध (अश्वगंधा ) का बाह्य स्वरुप (Choti Ashwagandha ki akriti)

इस पौधे का आकार या क्षुप छोटा होने के कारण ही इसे छोटी असगंध कहा जाता हैं| इसे नागौरी असगंध के नाम से भी जाना जाता हैं क्योंकि यह राजस्थान में स्थित नागौर जिले में बहुतायत के साथ पाई जाती हैं| छोटी असगंध नाम होने के बावजूद इसकी जड़े बड़ी असगंध से लम्बी होती हैं|

बड़ी असगंध (अश्वगंधा) का बाह्य स्वरुप (Badi Ashwagandha ki akriti)

इसका क्षुप बड़ा होता हैं किन्तु इसकी जड़ो का आकार छोटा होता हैं| इसे देशी अश्वगंधा भी कहा जाता हैं| यह खेतों, पहाड़ों, बाग-बगीचों आदि में आसानी से देखने को मिल जाती हैं|

अश्वगंधा के सामान्य नाम Herbal Arcade

अश्वगंधा के सामान्य नाम (Ashwagandha common names)

वानस्पतिक नाम (Botanical Name)Withania somniferaअंग्रेजी (English)Winter cherry, Poisonous gooseberryहिंदी (Hindi)असगंध, अश्वगंधा, पुनीर, नागोरी असगंधसंस्कृत (Sanskrit)वराहकरणी, वरदा, बलदा,अन्य (Other)असुगंध (उड़िया) अमनगुरा (कन्नड़) असकंधा (मराठी) आसंध (गुजराती) अश्वगंधा (नेपाली)कुल (Family)Solanaceae

अश्वगंधा के आयुर्वेदिक गुणधर्म (Ashwagandha ayurvedic gun)

दोष (Dosha) कफवातशामक (pacifies cough and vata)रस (Taste) तिक्त (bitter), कटु (pungent), मधुर (sweet)गुण (Qualities) लघु (light), स्निग्ध (oily)वीर्य (Potency) उष्ण (hot)विपाक(Post Digestion Effect) मधुर (sweet)प्रभाव (effect) शोथहर, वेदनास्थापक, मस्तिष्कशामक, दीपन, अनुलोमन

Ayurvedic properties of Ashwagandha (अश्वगंधा) Herbal Arcade

अश्वगंधा के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Ashwagandha ke fayde or upyog)

मस्तिष्क के रोगो में (Ashwagandha for mind)

इस का प्रयोग तंत्रिका तंत्र या मस्तिष्क से जुड़े रोग जैसे अपस्मार (मिर्गी), उन्माद आदि जैसे रोगों में बहुतायत से किया जाता हैं और तो और इसमें शत प्रतिशत सफलता भी प्राप्त होती हैं| इससे निर्मित औषधि या इस का अलग अलग प्रकार से सेवन कर इन रोगों से निजात पाई जा सकती हैं|

इसे अवसाद या डिप्रेशन के लिए भी बहुत लाभकारी माना जाता हैं|

दुर्बलता दूर करे अश्वगंधा (Ashwagandha for weakness)

उचित अवधि तक इस के चूर्ण का उचित मात्रा में सेवन करने से दुर्बलता का नाश होता हैं तथा व्यक्ति हष्ट पुष्ट होता हैं|

बालों की असमय सफेदी में (Ashwagandha for hair)

इस से बने चूर्ण का सेवन दिन में एक से दो बार तक करने से बालों में आई सफेदी को समाप्त किया जा सकता हैं|

स्मृति बढ़ाने हेतु उपयोगी अश्वगंधा (Ashwagandha for memory power)

इस के चूर्ण या अश्वगंधारिष्ट का सेवन सुबह दोपहर और रात के समय करने से स्मृति हास की समस्या समाप्त होती हैं तथा याददाश्त भी बढती हैं|

आँखों की रोशनी बढ़ाये (Ashwagandha for eyes)

अश्वगंधा चूर्ण, धात्री फल तथा चूर्ण, मुलेठी चूर्ण को सुबह शाम पानी के साथ पीने से आँखों की रोशनी बढती हैं|

मोतियाबिंद की स्थिति में भी इस का सेवन करने से लाभ मिलता हैं|

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गण्डमाला रोग में (Ashwagandha for goiter)

इस के पत्तों का चूर्ण तथा गुड़ की वटी बना कर, सुबह सुबह बासी जल के साथ पीने से और इसके साथ ही इस के पत्तों का लेप गण्डमाला रोग में प्रभावित स्थान पर करना चाहिए|

खांसी में (Ashwagandha for cough)

इस के चूर्ण तथा इसी के क्वाथ को एक साथ लेने से खांसी जल्द ही खत्म हो जाती हैं|

ह्रदय रोग में (Ashwagandha for heart)

इस की जड़ के चूर्ण को पानी के साथ सुबह दोपहर और शाम को लेने से ह्रदय रोगो में आराम मिलता हैं|

पेट के कीड़ों को मारे अश्वगंधा (Ashwagandha for stomach bugs)

अश्वगंधा चूर्ण तथा गिलोय के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिला कर शहद के साथ लेने से पेट के कीड़ों का शमन होता हैं|

कब्ज़ में (Ashwagandha for constipation)

इस के चूर्ण को गुनगुने जल के साथ लेने से कब्ज़ का समापन होता हैं|

गर्भधारण में सहायक अश्वगंधा

इस के चूर्ण, पानी तथा गाय के दूध को धीमी आंच पर तब तक पकाए जब तक केवल दूध बाकी रह जाये| अब इस द्रव में मिश्री और गाय के घी को मिला कर मासिक धर्म के तीन दिन बाद, तीन दिन तक सेवन करें| इससे गर्भधारण में सहायता मिलती हैं|

प्रदर की समस्या का समाधान करें अश्वगंधा

इस की जड़ का चूर्ण बना कर इसमें मिश्री मिला कर गाय के दूध के साथ दिन में दो बार सेवन करना चाहिए, इससे प्रदर की समस्या का समाधान जल्द ही हो जाता हैं|

गठिया रोग में (Ashwagandha for gout)

इस के पंचाग को कूटकर दिन में दो से तीन बार लेने से गठिया रोग में आराम मिलता हैं|

इस की जड़ का काढ़ा बनाकर और इस के कल्क की चार गुनी मात्रा में घी को पका कर दो समय लेने से वात रोग खत्म होते हैं|

कमर दर्द में

इस का चूर्ण बना कर घी या शक्कर के साथ लेने से कमर दर्द के साथ साथ अनिद्रा की समस्या भी खत्म हो जाती हैं|

त्वचा रोगों में (Ashwagandha for skin problems)

त्वचा सम्बंधित विसर्प रोग की समाप्ति के लिए इस की जड़ के चूर्ण को गुनगुने पानी में मिला कर प्रभावित स्थान पर लेप करना चाहिए|

इसके चूर्ण में घी या गुड़ मिलकर दूध के सातज लेने से चोट जल्दी ठीक होती हैं|

वीर्य विकार में (Ashwagandha for semen disorder)

अश्वगंधा में मिश्री मिलाकर यदि इसे दूध के साथ लिया जाता हैं तो वीर्य की मात्रा और गुणवत्ताबढती हैं|

ज्वर में कारगर अश्वगंधा (Ashwagandha for fever)

अश्वगंधा के चूर्ण और गिलोय के सत दोनों को हल्के गर्म पानी के साथ लेने से मुख्य रूप से पुराने वात जन्य ज्वर में लाभ मिलता हैं|

अश्वगंधा के चूर्ण और गिलोय सत को उचित मात्रा में शहद के साथ यदि लिया जाता हैं तो कई प्रकार के रोगों का नाश होता हैं तथा आमविष की भी समाप्ति होती हैं|

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मधुमेह में लाभदायक अश्वगंधा (Ashwagandha for diabetes)

विभिन्न प्रकार के रोगों को दूर करने के साथ ही एक सामान्य बीमारी मधुमेह में भी अश्वगंधा काफी अच्छे परिणाम देती हैं|

थायराइड में (Ashwagandha for thyroid)

गले से जुड़ी थायराइड ग्रंथि में होने वाले विकारों में भी इस का बहुत अच्छा प्रयोग किया जाता हैं तथा इससे उचित परिणाम भी प्राप्त होता हैं|

सूजन कम करें (Ashwagandha for swelling)

अश्वगंधा का त्वचा रोगों में काफी अच्छा प्रयोग होने के कारण यह किसी भी प्रकार की सूजन को समाप्त करने में भी सहायक होती हैं|

ओज बढ़ाये

इस के सेवन से व्यक्ति रोगों से तो दूर रहता ही हैं इसके साथ ही यह व्यक्ति को जवान तथा ओज को बरक़रार रखने में भी मदद करता हैं|

वजन कम करने के लिए अश्वगंधा (Ashwagandha for weight loss)

यदि आप भी मोटापा कम करने के लिए काफी चीजों का प्रयोग कर चुके हैं लेकिन आपका वजन कम नही हो रहा तो इसका प्रयोग आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता हैं|

उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Ashwagandha)

सेवन मात्रा (Dosages of Ashwagandha)

चूर्ण – 3-6 gram

क्वाथ –10-15 ml

अश्वगंधा से निर्मित औषधियां

अश्वगंधारिष्ट

अश्वगंधादि चूर्ण

अश्वगंधा रसायन

अश्वगंधा घृत

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