Thursday, November 7, 2024

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कुलत्थ (कुलथी) क्या है? (Kulathi kya hai?)

सर्दियों के मौसम में बड़े ही चाव से खाया जाने वाला एक पदार्थ है कुलत्थ | इसे एक दाल के रूप मखाया जाता है| सर्दियों में इसे मुख्य रूप से मक्की की रोटी के साथ खाया जाता है| आपने भी जरुर कभी न कभी इसका सेवन किया ही होगा| वैसे तो यह पूरे भारत में पायी जाती है परन्तु मुख्य रूप से यह गुजरात, राजस्थान, महाराट्र, सिक्किम और हिमालयी क्षेत्रो में पाया जाता है|

इसे खेतों में भी उगाया जाता है| लेकिन क्या आप इस बात पर सहमत होंगे कि इसका उपयोग रोगों को दूर करने के लिए भी किया जाता है| आयुर्वेद में इसे एक औषधि के समान काम में लिया जाता है| इसके सेवन से मधुमेह, मासिक विकार, मूत्र रोग, पथरी, गुल्म आदि रोगों का शमन किया जा सकता है| आइये विस्तार से इस दिव्य गुणों वाली औषधि के बारे में चर्चा करते है| 

बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Kulathi ki akriti)

इस औषधि के पौधे की ऊंचाई अधिकतम 45 cm तक हो सकती है| इसका तना पतला होता है जो कुछ भूरे रंग का दिखाई पड़ता है| इसमें तीन पत्ते एक साथ उपस्थित होते है| इसके फूलों में पीला और सफ़ेद रंग होता है| इसकी फली में उपस्थित बीज जिन्हें कुलथी कहा जाता है, का आकार मनुष्य के गुर्दों के आकार का होता है| यह अगस्त से नवम्बर के मध्य आते है|

कुलत्थ (कुलथी) में पाए जाने वाले पोषक तत्व (Kulathi ke poshak tatv)

प्रोटीन

मिनरल्स

फाइबर

कैल्शियम

आयरन

कार्बोहाइड्रेट

फास्फोरस

Kulathi common names Herbal Arcade

कुलत्थ (कुलथी) के सामान्य नाम (Kulathi common names)

वानस्पतिक नाम (Botanical Name)Dolichos uniflorusअंग्रेजी (English)Horse-Gram हिंदी (Hindi)कुरथी, कुलथीसंस्कृत (Sanskrit)कुलत्थिका, कुलत्थअन्य (Other)कुलत्थी (उर्दू) हुरली (कन्नड़) कुलाथी (गुजराती) उलुवा (तेलुगु) गहत (नेपाली) कलत (पंजाबी)कुल (Family)Fabaceae 

कुलत्थ (कुलथी) के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Kulathi ke ayurvedic gun)

दोष (Dosha) कफवातशामक, पित्तकारक (pacifies cough and vaat and increase pitta)रस (Taste) कषाय (astringent)गुण (Qualities) रुक्ष (dry), लघु (light)वीर्य (Potency) उष्ण (hot)विपाक(Post Digestion Effect) अम्लीय (sour)अन्य (Others)संग्राही, विदाही, स्वेदरोधक, रक्तपित्तकारक

कुलत्थ (कुलथी) के आयुर्वेदिक गुण धर्म Herbal Arcade

कुलत्थ (कुलथी) के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Kulathi ke fayde or upyog)

अस्थमा में कुलथी का प्रयोग (Kulathi for asthma)

पंचकोल से निर्मित घी और इस औषधि के बीजों का काढ़ा बना कर सेवन करने से दमा या अस्थमा की समस्या समाप्त होती है|

खांसी में कुलत्थ (कुलथी) (Kulathi for cough)

खांसी होने पर इसके बीजों को अच्छे से भून लें| अब इन्हें अच्छे से पीस कर दिन में एक से दो बार खाने पर खांसी का शमन होता है|

हिचकी की समस्या में (Kulathi for cough)

पीड़ादायक हिचकी की समस्या होने पर यदि इसके बीजों से बने हुए काढ़े का सेवन किया जाता है तो यह समस्या जल्द ही समाप्त होती है|

पथरी को बाहर निकाले (Kulathi for calculus)

इस औषधि की फलियों को पानी में गला कर उनका रस निकाल कर पिलाने से पथरी गल कर बाहर निकाल जाती है|

इसके अलावा यदि कुलत्थाद्य घी को उचित मात्रा में लेने से भी पथरी बाहर निकलती है|

जलन होने पर कुलत्थ (कुलथी) का उपयोग (Kulathi for irritation)

हाथ और पैर के तालुओं में जलन होने पर इसके बीजों का लेप बना कर लगाने से जलन में कमी होती है तथा शरीर को ठंडक मिलती है|

जुखाम में (Kulathi for cold)

जुखाम होने पर इस औषधि से निर्मित काढ़े की भाप लेनी चाहिए| इसके अलावा यदि आप इसके काढ़े का सेवन करते है तो यह कफ का शमन कर जुखाम को कम करती है|

मोटापे को नियंत्रित करें (Kulathi for obesity)

यदि आपका वजन सामान्य से अधिक हो गया है और आप इसे कम करना चाहते है| तो ऐसे में कुलथी को पका कर खाना आपके मोटापे को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है| इसमें उपस्थित फाइबर के कारण ही मोटापा नियंत्रित किया जा सकता है|

बुखार को भगाये कुलथी का सेवन (Kulathi for fever)

कुलथी और मूंग की दाल को गला कर उनसे निकले पानी को यदि बुखार से पीड़ित व्यक्ति को पिलाया जाता है तो बुखार का शमन जल्दी होता है|

इसके अलावा इसके बीजों का चूर्ण बना कर शरीर पर मलने से भी बुखार का शमन होता है|

पेट के कीड़ों को साफ़ करें (Kulathi for stomach bugs)

भिगोये हुए कुलथी के पानी में दूध मिलाकर सेवन करने से कीड़ों का सफाया होता है|

इसके अलावा इस औषधि के बीजों के काढ़े में कुलथी क्षार और यवक्षार मिश्रित कर के सेवन करने से भी पेट के कीड़ों का शमन होने होने लगता है|

ह्रदय रोगों का शमन करें कुलत्थ (कुलथी) (Kulathi for heart)

उच्च रक्तचाप वाले रोगियों को इसके सेवन से परहेज करना या बचना चाहिए| इसके सेवन से रक्तविकार दूर होते है जिसके चलते ह्रदय रोगों में भी लाभ मिलता है| ह्रदय रोगियों को इसके बीजों को भिगोये हुए पानी का सेवन करना चाहिए|

सिर दर्द में (Kulathi for head ache)

सिर दर्द एक आम बात होती है| जब यह हमारी दिनचर्या का हिस्सा बनने लगता है तो इसकी रोकथाम बहुत जरुरी होती है| ऐसे में इसके बीजों का सेवन कर के सिर दर्द से आराम पाया जा सकता है|

मूत्र सम्बन्धी रोग में कुलत्थ (कुलथी) (Kulathi for urinary problems)

मूत्र त्यागते समय कठिनाई, जलन, दर्द, मूत्र का बार या कम आना, धीरे धीरे मूत्र आना आदि समस्याओं के लिए यदि कुलत्थाद्य घृत का सेवन किया जाता है तो काफी हद तक लाभ प्राप्त होता है|

इसके अलावा यदि मूत्र मार्ग में किसी प्रकार का संक्रमण हो तो बीजों का काढ़ा बना कर दिन में दो बार तक पीना चाहिए|

बवासीर में (Kulathi for piles)

कुलथी को भिगोये हुए पानी को पीने से बवासीर या अर्श में लाभ होता है|

इसके अलावा बीजों को पीस कर मस्सों पर लगाने से भी काफी फायदा पहुँचता है|

गुल्म रोग का समापन करे (Kulathi for gum disease)

इस औषधि के बीजों का यूष बनाकर पीने से गुल्म रोग का समापन होता है तथा उससे होने वाली पीड़ा का भी शमन होता है|

विरेचन के लिए कुलत्थ (कुलथी)

इस औषधि के बीजों का क्वाथ बना कर पीने से पेट साफ़ होता है तथा कब्ज़ की समस्या भी शांत होती है|

घेंघा रोग में लाभदायक कुलथी का सेवन (Kulathi for goiter)

इस औषधि के वृक्काकार बीजो को भिगो लें| रात भर तक इसके बीजों को भिगोये हुए पानी को पीने से घेंघा रोग में आराम मिलता है|

उदावर्त में

इस समस्या में हरड, निशोथ और इस औषधि के बीजो का काढ़ा बना कर उसमे पिपली का चूर्ण मिलाकर पीना चाहिए| इससे पाचन तंत्र स्वस्थ होता है और उदावर्त में लाभ मिलता है|

तिल्ली और लीवर के रोगों में कुलत्थ (कुलथी) (Kulathi for spleen and liver)

क्या आप भी तिल्ली के बढ़ने या लीवर की सूजन से परेशान है तो ऐसे में इसके बीजों से बने हुए यूष को पीना चाहिए| इससे इन दोनों रोगों का शमन होने में सहायता मिलती है|

मासिक धर्म के विकारों में (Kulathi for menstrul problems)

दिन में एक से तीन बार तक इसके बीजों से बने काढ़े का सेवन करना चाहिए| ऐसा करने से अनियमित मासिक धर्म, अधिक रक्तस्राव, मासिक धर्म का न आना, मासिक धर्म के समय दर्द, बुखार आदि का समाधान होता है| इसके साथ ही इसके सेवन से श्वेत प्रदर का भी समापन होता है|

आमवात में

बढती उम्र के साथ होने वाले जोड़ों के दर्द, सूजन, जलन, चुभन और लालिमा का शमन करने के लिए इसके बीजों से बने यूष का सेवन काफी लाभदायक होता है| इससे आमवात और वातरक्त के लक्षणों में भी कमी आती है|

पेट में छाले या घाव होने पर

इस औषधि के बीजों का सत्तू बना कर उसे दही के साथ सेवन करने से पेट में घाव ठीक होते है|

शीतपित्त में

यदि आप इसके बीजों से निर्मित काढ़े या रस को अपने भोजन में शामिल करते है तो त्वचा सम्बन्धी रोग शीतपित्त में भी लाभ मिलता है|

मधुमेह में (Kulathi for diabetes)

कुलथी के बीजों में भरपूर मात्रा में ऐसे पोषक तत्व पाए जाते है जो शर्करा को ग्लूकोज में बदलने में सहायता करते है| इसी कारण मधुमेह में इसका प्रयोग बिना किसी हिचकिचाहट के किया जा सकता है|

उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Kulathi)

सेवन मात्रा (Dosages of Kulathi)

चूर्ण – चिकित्सक के अनुसार

क्वाथ – चिकित्सक के अनुसार

सावधानियाँ (precautions of kulathi)

उच्चरक्तचाप, गर्भवती महिला को, अम्लपित्त, बवासीर, घाव और फेफड़ों से विकारों में इसका सेवन नही करना चाहिए|

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